जिंदगी का सफर

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"अबे, कहाँ घुसा आ रहा है?"सिर से पाँव तक गंदे भिखारी-से आदमी से अपने कपड़े बचाता हुआ वह लगभग चीख-पड़ा। उस आदमी की दशा देखकर मारे घिन्न के मन ही मन ...

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