रामचरित मानस

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लंकाकाण्ड भरतजी के बाण से हनुमान्‌ का मूर्च्छित होना, भरत-हनुमान्‌ संवाद दोहा : *देखा भरत बिसाल अति निसिचर मन अनुमानि। बिनु फर सायक मारेउ चाप श्रवन लगि तानि॥58॥ भावार्थ:- भरतजी ने ...

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