वाग्देवी का तेज

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सुनहरी खिली धूप में श्यामा अपने कथित द्विवतीय काव्य संग्रह के लिये रूपरेखा बनाती हुई बैठी थी। तभी ड़ाकिया कुछ पत्र लेकर आया। उनमें से बाकी को छाँटकर अलग रखा¸ एक ...

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