याददाश्त

85 Part

125 times read

0 Liked

खोल कर, आज की तारीख खोज कर, लिखने के इरादे से बैठा ही था कि डायरी बंद कर देनी पड़ी. घंटी बजी, जाना पड़ा. डर लगा कोई ‘लंबी-बैठक’ वाला पुराना दोस्त ...

Chapter

×