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सुरेन्द्र की माँ किसी कलाकार से कम नहीं थी। अपने हाथों के हुनर से उन्होने कितने ही चादरें लिहाफ जीवंत किये। फुलकारी¸ जरदौजी¸ सिंधी टाँका¸ यहाँ तक कि कागज और कपड़ों ...