रामचरित मानस

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लंकाकाण्ड देवताओं की स्तुति, इंद्र की अमृत वर्षा दोहा : * बरषहिं सुमन हरषि सुर बाजहिं गगन निसान। गावहिं किंनर सुरबधू नाचहिं चढ़ीं बिमान॥109 क॥ भावार्थ:-देवता हर्षित होकर फूल बरसाने लगे। ...

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