दुर्गा दास--मुंशी प्रेमचंद

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अध्याय-३ खुदाबख्श ने नाथू को जीता देख ईश्वर को धन्यवाद दिया और घाव धोकर पट्टी बांधी। फिर बोला भाई! मुझसे डरो मत, मैं वह मुसलमान नहीं जो किसी का बुरा चेतूं। ...

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