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विभीषण का वस्त्राभूषण बरसाना और वानर- भालुओं का उन्हें पहनना * बहुरि विभीषन भवन सिधायो। मनि गन बसन बिमान भरायो॥ लै पुष्पक प्रभु आगें राखा। हँसि करि कृपासिंधु तब भाषा॥2॥ भावार्थ:-फिर ...