रामचरित मानस

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उत्तरकाण्ड भरत विरह तथा भरत-हनुमान मिलन, अयोध्या में आनंद दोहा : * रहा एक दिन अवधि कर अति आरत पुर लोग। जहँ तहँ सोचहिं नारि नर कृस तन राम बियोग॥ भावार्थ:-श्री ...

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