रामचरित मानस

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उत्तरकाण्ड वानरों और निषाद की विदाई दोहा : * ब्रह्मानंद मगन कपि सब कें प्रभु पद प्रीति। जात न जाने दिवस तिन्ह गए मास षट बीति॥15॥ भावार्थ:-वानर सब ब्रह्मानंद में मग्न ...

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