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बांटकर हिस्सों में रक्खा है, अंधेरों में क्या पाया तुमने सोचकर देखना जरा, टूटना भला, क्यों गँवाया तुमने तू ही सबकुछ तो नहीं, क्यों खुदी कर जमाया तुमने 'बेखुदी' कर जरा, ...