रामचरित मानस

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.... * रामु काम सत कोटि सुभग तन। दुर्गा कोटि अमित अरि मर्दन॥ सक्र कोटि सत सरिस बिलासा। नभ सत कोटि अमित अवकासा॥4॥ भावार्थ:-श्री रामजी का अरबों कामदेवों के समान सुंदर ...

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