अजुध्या की लपटें

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वह सुबह भी और सुबहों की तरह एक आम सुबह थी लेकिन अमलतास के घने दरख्तों की डालियों को पार करता सूरज जब घंटाघर की ऐन बुर्जी पर था तो वह ...

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