रामचरित मानस

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कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना। एक अधार राम गुन गाना॥ सब भरोस तजि जो भज रामहि। प्रेम समेत गाव गुन ग्रामहि॥3॥ भावार्थ:-कलियुग में न तो योग और यज्ञ है और ...

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