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कान्हा देखो जा रहे बृज को छोड़कर, सारी गोपियों से वो मुंह को मोड़ कर। सभी बदहवास सी यहाँ हुई जाती हैं, बेसुध हो अपना होश खोए जाती हैं। उदासी सभी ...