सँभाल पाओ तो...!

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मेरे अंदर बाकी है ,जो बचा हुआ है , औसाफ़ के आफ़ताब को तिरगी में न ढकेलो, पहले दिल-लो , हाथो की लकीरें , सँभाल पाओ तो जान-लो । ...

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