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तितली भंवरों के संग मंडराती हो फूलों का रस न चूस मुस्कुराती हो पवन पौधों को सुना लोरी सुलाए ऐसा संसार बसाने की बेक़रारी है। अपनत्व, एकता की भावना अपार जिसमें ...