रामचरित मानस

210 Part

52 times read

1 Liked

दोहाः परम धर्ममय पय दुहि भाई। अवटै अनल अकाम बनाई॥ तोष मरुत तब छमाँ जुड़ावै। धृति सम जावनु देइ जमावै॥7॥ भावार्थ:-हे भाई, इस प्रकार (धर्माचार में प्रवृत्त सात्विकी श्रद्धा रूपी गो ...

Chapter

×