रामचरित मानस

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दोहा : * तब फिरि जीव बिबिधि बिधि पावइ संसृति क्लेस। हरि माया अति दुस्तर तरि न जाइ बिहगेस॥118 क॥ भावार्थ:-(इस प्रकार ज्ञान दीपक के बुझ जाने पर) तब फिर जीव ...

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