रामचरित मानस

210 Part

49 times read

1 Liked

.... *भोजन करिअ तृपिति हित लागी। जिमि सो असन पचवै जठरागी॥ असि हरि भगति सुगम सुखदाई। को अस मूढ़ न जाहि सोहाई॥5॥ भावार्थ:-जैसे भोजन किया तो जाता है तृप्ति के लिए ...

Chapter

×