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.... *भोजन करिअ तृपिति हित लागी। जिमि सो असन पचवै जठरागी॥ असि हरि भगति सुगम सुखदाई। को अस मूढ़ न जाहि सोहाई॥5॥ भावार्थ:-जैसे भोजन किया तो जाता है तृप्ति के लिए ...