210 Part
72 times read
1 Liked
... सन इव खल पर बंधन करई। खाल कढ़ाई बिपति सहि मरई॥ खल बिनु स्वारथ पर अपकारी। अहि मूषक इव सुनु उरगारी॥9॥ भावार्थ:-किंतु दुष्ट लोग सन की भाँति दूसरों को बाँधते ...