रामचरित मानस

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... सन इव खल पर बंधन करई। खाल कढ़ाई बिपति सहि मरई॥ खल बिनु स्वारथ पर अपकारी। अहि मूषक इव सुनु उरगारी॥9॥ भावार्थ:-किंतु दुष्ट लोग सन की भाँति दूसरों को बाँधते ...

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