रामचरित मानस

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चौपाई : * ममता दादु कंडु इरषाई। हरष बिषाद गरह बहुताई॥ पर सुख देखि जरनि सोइ छई। कुष्ट दुष्टता मन कुटिलई॥17॥ भावार्थ:-ममता दाद है, ईर्षा (डाह) खुजली है, हर्ष-विषाद गले के ...

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