रामचरित मानस

210 Part

62 times read

2 Liked

उत्तरकाण्ड भजन महिमा  चौपाई : * रघुपति भगति सजीवन मूरी। अनूपान श्रद्धा मति पूरी॥ एहि बिधि भलेहिं सो रोग नसाहीं। नाहिं त जतन कोटि नहिं जाहीं॥4॥  भावार्थ:-श्री रघुनाथजी की भक्ति संजीवनी ...

Chapter

×