रामचरित मानस

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... एहि महँ रुचिर सप्त सोपाना। रघुपति भगति केर पंथाना॥ अति हरि कृपा जाहि पर होई। पाउँ देइ एहिं मारग सोई॥2॥ भावार्थ:-इसमें सात सुंदर सीढ़ियाँ हैं, जो श्री रघुनाथजी की भक्ति ...

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