रामचरित मानस

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... जासु पतित पावन बड़ बाना। गावहिं कबि श्रुति संत पुराना॥ ताहि भजहि मन तजि कुटिलाई। राम भजें गति केहिं नहिं पाई॥4॥ भावार्थ:-पतितों को पवित्र करना जिनका महान्‌ (प्रसिद्ध) बाना है, ...

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