कविताः सद्कर्म हमारे...

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कविताः सद्कर्म ये दुनिया है एक छलावा माया का है बस पहरावा जीवन संसार है नश्वर  खुद से भी नाता नहीं है अमर सद्कर्म ही हैं हमारे सहारे जरामरण सें हैं ...

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