लेखनी कहानी -27-Jun-2022

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वंदन प्रभु जी आपका नित वंदन करूं आपके होते मैं ना  चिंतन करूं। निज मस्तक आपके चरणों में धरूं। अज्ञान हूँ  प्रभु मैं  तेरे समाने  मुझे ज्ञान का तू  भंडार देदे ...

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