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रूठ जाया करती हूँ अक्सर छोटी-छोटी बातों पर जानती हूँ इस बात से नाराज़गी है तुझे, मगर क्या करूँ ए मुजस्सम! मनाने जिस तरह तू आया करता है हर बार तेरी ...