अनुकरणीय

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दरवाजे की घंटी बजी। मैं समझ गयी कि वो होगी। वह प्रतिदिन ठीक इसी समय आती है। न कभी शीध्र न कभी विलम्ब। मैंने दरवाजा खोला। मेरी ओर देखकर एक हल्की-सी ...

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