अपने अपने दुख

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लाला जी छिटक कर एक ओर जा बैठे। क्षण भर सोचने के बाद फिर उठे चिलम भर कर हुक्का गुड़गुड़ाने लगे। हुक्के के श्वास-निश्वास की धमाचौकड़ी से स्पष्ट झलकता था कि ...

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