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रिश्तों की बदलती तस्वीर,काव्य प्रतियोगिता में सामिल होने हेतु सादर प्रेषित कविता _ कविता -मन की व्यथा छुपाता रहूं कब तलक मन की पीड़ा सुलगते सुलगते जलाता है तन को ...