कर्तव्य निभाना

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तजुर्बेकार आँखे । गमों की धूप में तप कर बरसती है। सुखं की छाँव बन जातीं हैं ये बुढ़ी आँखे। तजुर्बेकार परतों की झुरियाँ । ताउम्र सम्भालती है जब जिम्मेदारियाँ । ...

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