लेखनी कहानी -02-Jul-2022 गजल : हद बेहद

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गजल : हद बेहद   हदों को लांघने का देखो रिवाज चल पड़ा है  इसीसे तो दुखों से आज बेहद पाला पड़ा है  सागर भी भूल रहे हैं अपनी हदों की सरहदें ...

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