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प्रतियोगिता हेतु गीत सृष्टि के संघार कर्ता सुप्त सागर में पड़े हैं। लाज लुटती द्रोपदी की, मौन सब पांडव खड़े हैं, सृष्टि के संघार कर्ता , सुप्त सागर में पड़े हैं,, ...