क्या करे बेचारा!

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क्या करे बेचारा.. ऐसी बातें होती रहती हैं  अक्सर तो हक़ होता नही है ऐसे हक़ कर तो छीन लिया अब,  जो था मेरा सब  कहने को बाकी है क्या उड़ा ...

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