लेखनी प्रतियोगिता -06-Jul-2022

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        मंजिल की तलब  मंजिल कहाँ थी हमारी  देखो कहाँ आ पहुँचे हैं।  ना कोई अपना ना कोई  पराया। दुनिया को अलविदा  कह सन्नाटे में आ पहुँचे हैं।  ...

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