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जीवन - पहेली बीत ही जाएगी ये घोर निशा अंधियारी, क्षितिज पर चमकेगा भोर का सूरज, उमर भर का सफर है ये, निभा लेने में क्या है हरज़? यहां पतझड़ भी ...