हम उन्हें समझा रहे है, वो हमें समझा रहे है

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आज  दास्ताँ-ए-हिज़्र  हम  तुम्हें सुना रहें है, ये  दिन  जुदाई  के  क्या  रंग  दिखा  रहे  है, हम उन्हें समझा रहे है, वो हमें समझा रहें है। आँसू  भी  आ  रहे  हैं  ...

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