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आज कल, हाँ आजकल तुम्हारी बहुत याद आती हैं, जैसे बारिश सिमटी हैं आकाश के ह्रदय में , चिट्ठियां अभी रास्तो से बातचीत कर रहीं है, और वो कवि खामोश हो ...