कविता ःःआजादी मेरे मन की

1 Part

271 times read

6 Liked

कविता ःःआजादी मेरे मन की तोड़ दिए मैंनें वो सारे बंधन जो महज दिखावे थे वो चूड़ी,वो कंगना ये बिंदी ये टीका ढकोसले हैं सारे सात जन्मों के बंधन अब बेगाने ...

×