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मेरे अंगने में मेरे अंगने में बिखरी पड़ी हैं स्वर्ण रश्मियां, तुम्हारी मुस्कानों की इनसे खिला खिला रहता है मेरे दिल का मन उपवन यहां दिन भर बरसता है तुम्हारी इनायतों ...