इतराता है बाग

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दोहा बागों में झूले पड़े, मन में उठे उमंग। मतवाली गोरी चली, सब सखियन के संग।। रुन झुन पैजनियां बजे, धुन सुन मन अकुलाय। सुमन सरीखी गंध से, मन मधुकर वौराय।। ...

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