चेहरे

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बारिश की बूंदों सी थी  सावन के झूलों सी थी  मुस्काती थी मन ही मन  बागों के फूलों सी थी   थोड़ा  सा  शरमाती  थी   कभी कभी इतराती  थी   अपनी शोख अदाओं ...

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