लेखनी कविता -14-Jul-2022

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*ख्वाहिश* ख्वाहिशों कहाँ रूकती नित रोज नई दिल में उमड़ती इनको पूरा करने में जीवन यों ही निकलती रोज कैसी -कैसी और कितनी  मचलती रोज साइकिल से शुरू हो हवाईजहाज पर ...

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