क्षितिज के उस पार

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हाँ वो शिला ही थी!! कैसे भूल कर सकती थी मैं पहचान ने में उसे, जिसे बरसों देखा, साथ गुजारा, पल पल उसके बारे में सोचा. शिला थी ही ऐसी, जैसे ...

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