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लेखिका-प्रियंका भूतड़ा शीर्षक-पापा की आंखें पापा की आंखें हमें डराती, हमें मर्यादा में रहना सिखाती। बुराई के रास्ते जब बढ़ते कदम, पापा की आंखें याद दिलाती। थम जाते हमारे कदम, अच्छाई ...