दम तोड़ती इंसानियत

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Tital - दम तोड़ती इन्सानियत  Poem ::  दम तोड़ रही थी जिंदगी, किनारे पर लोग खड़े थे। न पूछा किसी ने क्या हुआ उस बेजान को,  बस हाथों में लिए फोन ...

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