कहाँ हैं वो अफसाने!

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"बांधे डोर कई मुझे, सब खींचे अपनी ओर क्या है तेरा? क्या है मेरा? मैं तो चला ये जग छोड़ अपना और अपनेपन के सारे अफसाने पुराने बीत गया वो मौसम, ...

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