कलम

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कभी ख़ुशी और कभी ग़म लिखती है, कभी हँसी कभी आँखे नम लिखती है। कभी  बहारों  का  मौसम  लिखती  है, कभी  पतझड़  का  मौसम लिखती है। कभी  मुहब्बत  की  बातें  लिखती  ...

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