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हाथ में दवा का पत्ता थामे, निश्चेष्ट नलिनी सोच रही थी, उससे गलती ठीक कब हुई। अगर यह दवा न खिलाई होती तो क्या नरेंद्र जीवित होता? या आखिरी क्षण अपोलो ...